गुजरात के स्कूलों में अब श्रीमद्भगवद्गीता का भी पाठ

जी हां, गुजरात सरकार ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में ‘भगवद गीता’ पर एक पाठ्यपुस्तक लॉन्च की है। इस पाठ्यपुस्तक को अगले नए एकेडमिक सेशन से कक्षा छठी से बारवीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह फैसला 3 साल पहले केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई , राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है और धर्मग्रंथ पर आधारित यह पुस्तक छात्रों में नैतिक मूल्य स्थापित करेगी। गुजरात सरकार ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और छात्रों में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
यह पाठ्यपुस्तक छात्रों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करेगी:
- नैतिक मूल्यों का विकास: यह पाठ्यपुस्तक छात्रों को सच्चाई, अहिंसा, क्षमा, दया, और कर्तव्य जैसे महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों को सिखाएगी।
- सांस्कृतिक विरासत: यह पाठ्यपुस्तक छात्रों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराएगी।
- चरित्र निर्माण: यह पाठ्यपुस्तक छात्रों में चरित्र निर्माण और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देगी।
- मानसिक स्वास्थ्य: यह पाठ्यपुस्तक छात्रों को तनाव और चिंता से निपटने में मदद करेगी।
यह पाठ्यपुस्तक छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगी।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको जाननी चाहिए:
- पाठ्यपुस्तक का नाम: श्रीमद्भगवद्गीता – जीवन शिक्षा
- कक्षाएं: 6 से 12
- शैक्षणिक वर्ष: 2024-25 से
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति: 2020
यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
- पाठ्यपुस्तक को गुजरात राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार किया गया है।
- पाठ्यपुस्तक में गीता के श्लोकों का सरल भाषा में अनुवाद और व्याख्या शामिल होगी।
- पाठ्यपुस्तक में विभिन्न गतिविधियां और अभ्यास भी शामिल होंगे।
यह पाठ्यपुस्तक छात्रों को गीता के ज्ञान को समझने और अपने जीवन में लागू करने में मदद करेगी।